जज़ को पटेल की सजा के लिए आठ लाइन के फैसले लिखने में डेढ़ घंटा क्यों लगा? स्पष्ट करें।

जब पटेल को जज के सामने पेश किया गया तो उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया पर असल में उन्होंने कोई अपराध किया ही नही था अपितु उनकी गिरफ्तारी ‘अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता’ के अधिकार के खिलाप थी इसीलिए जज यह फैसला नहीं कर पा रहे थे कि वे पटेल को कितनी सजा सुनाएं और वह सजा किस धारा के तहत सुनाई जायेगी| इसी कशमकश में जज ने अपना फैसला लिखने में डेढ़ घंटे का समय लगा दिया|


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